कविता

रहने दो …तुम

रहने दो तुम यह सब सह नहीं पाओगे |
किसी की दर्द भरी आहें तुम सुन नहीं पाओगे |
तुम्हे आदत नहीं मुशकिलो से झूझने की ,
इन मुशकिलों से तुम उभर नहीं पाओगे |
रहने दो तुम…………
ज़िन्दगी इक संघर्ष है तुम खुद को आज़मा नहीं पाओगे |
तुम पले हो महलो मे तुम इस बिछोने पे सो नहीं पाओगे |
रहने दो तुम ………..
कामनी गुप्ता |||***

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

2 thoughts on “रहने दो …तुम

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह !

Comments are closed.