~~सहा बहुत है अब ना सहेगें ~~
सहा बहुत है अब ना सहेगें ,
आँसू बनकर अब ना बहेंगे |
ले किवाड़ की ओट अब ना सुबकेगें ,
दीवारों की ओट में अब ना दुबकेगें |
ना बनेगें पांचाली ना ही सीता ,
ढालेगें अब हम स्वंय में गीता |
कष्टों की धारा ना अपनी ओर बहने देगें ,
पुरुषों को नारी अबला है ना यह कहने देगें|
शासित हुयें है हमेशा अब ना होंगे,
ईट का जबाब हम अब पत्थर से देगें|
किये है बहुत सारी गल्तियाँ अब ना करेगें,
झुक लिए बहुत अब नहीं झुकेगें |
जिस कमजोरी का उठाते थे फायदा ,
उसको हमारी ताकत बना दे ओ मेरे खुदा |
|| सविता मिश्रा |