भारत का प्राचीन गौरव
महान इतिहासकार समाजशात्रि के0 एल0 वासन जी ने कहा था की “भारत एक ऐसा देश है जहा पर लोग बन्दर नचा कर ,साँप का खेला मदारी दिखा कर जीवीको पार्जन कर लेते है । लोग पेड़ो पर चढ़ के विवाह करते है ।”
हम भारतीय वही है जिन्होंने अजन्ता एलोरा की गुफाओ को अपने हाथो से काट कर ऐसी कलाकृतियॉ बना दी जिसको पूरा विश्व देखने आता है । आज भी विश्व के आठ अजूबो में सम्मलित ताजमहल को भारत के कारीगरों ने ऐसा तराशा है की पूरे विश्व के लिए ये भवन एक मिसाल है । हम उसी आर्यभट्ट ऋषभ देव के संताने है जिनसे पूरा विश्व प्रभावित था । प्रकृति और धर्म की ऐसी संस्कृति पूरे विश्व में कहि दृस्टिगत नही होती ।
आज अमरीका ने इतनी प्रगति तो कर ली है की पूरे विश्व को नष्ट कर दे ,मंगल ग्रह पर भी पहुच गया है पर जीवन में मंगल कैसे हो ये सिर्फ भारत को पता है घास फूस की झोपड़ियो में हसते खेलते जीवन जीने की कला सिर्फ भारत में ही है । एशिया के प्रथम नावेल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ ठाकुर ने कहा था हमे गारे और ईंट का बना भारत नही चाहिए सिर्फ ।और सच में भारतीय फिल्मो एक डायलॉग सुनने को मिलता है ढाई किलो का हाथ सिर्फ बात फिल्मो की नही सच में भारतीय हाथ शक्तिशाली हुए है ।एक अलग तरह का पुनर्जागन दृस्टिगत होता है ।बलिया में बैठा एक 18 साल से कम आयु का नौजवान आधुनिक कंप्यूटर बना कर समूचे विश्व को चकित कर सकता है ।
ऐसी शक्ति इस आधुनिक भारत के उन हाथो में आई है जिस भारत के गौरवशाली इतिहास में 7 साल का बालक शेर का जबड़ा फैला कर उसके दांत गिन कर गिनती पहाड़ सीखता था । ठीक उसी तरह आज भारत योग और न्यूचरोपैथी में भी अग्रणी भूमिका निभा कर समूचे विश्व को
हमारी पुरानी धार्मिक पद्धति से जोड़ने का कार्य किया है ।
धर्म पाण्डेय
लेख अच्छा है, पर कुछ बिखरा बिखरा सा है। इसको विस्तार देकर व्यवस्थित किया जा सकता है।