बाल कविता

बाल कविता : पेड़ लगाओ

पेड़ न होते इस धरती पर,,
हरी-भरी इसे करता कौन ?
पेड़ न होते तब हम सबको
मीठे फल खिलाता कौन ?
पेड़ न होते तो हम सबको,
शुद्ध वायु देता कौन ?
चलते-चलते जब थक जाते,
शीतल छाया देता कौन ?
पेड़ न होते इस धरती पर,
पंछी को आश्रय देता कौन ?
पेड़ न होते यदि इस जग में,
रिमझिम बरखा लाता कौन ?
हरे -भरे जब तक ये रहते,
बनते जीवन का आधार।
जीवन अपना पूरा करके,
बन जाते घर का शृगांर।
                              सुरेखा शर्मा

सुरेखा शर्मा

सुरेखा शर्मा(पूर्व हिन्दी/संस्कृत विभाग) एम.ए.बी.एड.(हिन्दी साहित्य) ६३९/१०-ए सेक्टर गुडगाँव-१२२००१. email. surekhasharma56@gmail.com

One thought on “बाल कविता : पेड़ लगाओ

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत सुंदर कविता !

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