वर्षो से ……..
वर्षो से तमन्ना लिए बैठी ,
अब करू बातें दिल की , मगर
किसके साथ करू बातें जुबानी ,
यही सोच ली मदद कलम की ,
कहाँ से बातें शुरू करू मैं ,
उसी सोच में डूब पड़ी ,
उसकी सुनु या अपनी सुनाऊ ,
या पहले हाले गम बताऊ ,
जो कह न सकी थी बात उस दिन ,
क्या आज उसे बता दूँ |
— निवेदिता चतुर्वेदी
बहुत खूब !
dhanybad