कविता

पापा

पापा अकसर अपनी परेशानियों का आभास होने नहीं देते |
जाने कहाँ से लाते हैं इतना हौंसला कि परेशान हमे होने नहीं देते |
अन्दर से चाहे टूट चूके हों पर परिवार को महसूस होने नहीं देते |
रहते हैं बनकर घर की छाया परिवार को घबराने नहीं देते |
जाने कहाँ से लाते हैं इतना हौंसला.. …..
खुद के अरमानों का गला घोंट कर परिवार के सपने टूटने नहीं देते |
छोटी से लेकर बड़ी फरमाईशें भी जाने कहाँ से पूरी हैं करते |
आँच ना आए कभी परिवार पर हर जत्न हैं वो करते |
जाने कहाँ से लाते………
माना कभी सही कभी गल्त फैसले भी कर देते |
पर दिल से तो वो हमारा भला ही हैं सोचते |
पापा अकसर अपनी……
जाने कहाँ से लाते ………

— कामनी गुप्ता जम्मू

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

4 thoughts on “पापा

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहुत खूब

    • कामनी गुप्ता

      Thanks ji

  • विजय कुमार सिंघल

    बढ़िया !

    • कामनी गुप्ता

      Thanks sirji

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