कविता

फादर डे

फादर डे
[1]
फादर डे की शुभ बेला मे,
कोटि- कोटि अभिनन्दन/
सदा ही आता रहे परम् डे,
जीवन ज्योति आनन्दम/
पिता शब्द आकाश बोध है,
माता धरती जैसी/
माता -पिता शब्द विशद् है,
भाव अनन्त अनेक/
[2]
बालक के जीवन की डोर है पिता,
प्रेम और अनुराग का भाव है पिता/
बालक को अंगुली थमता है पिता,
उसे चलने के काबिल बनाता है पिता/
उनकी राहों को फूलों सा सजाता है पिता,
अंगुली पकड़कर लिखता है पिता/
जीवन की ज्योति बनाता है पिता,
सच्चाई की राह दिखता है पिता/
संस्कार का भाव जगता है पिता,
अनुशासन की सीख सीखता है पिता/
खुशियों का उपवन सजाता है पिता,
नित बालक को काबिल बनाता है पिता/
न्याय की सीख सीखता है पिता,
भूलों के उसके नहीं भूलता है पिता/
सदा सद मार्ग दिखता है पिता,
ज्ञान की ज्योति जगता है पिता/

बाल जीवन मधुर बनाता है पिता,
वीर बालकका भाव जगाता है पिता/
जीवन को सार्थक बनाता है पिता,
लाड़ले को नेह नित सिखाता है पिता/
जीवन के मूलमंत्र का नाम है पिता,
अनन्त अनादि अविनाशी ज्ञान का स्रोत है पिता/
बालक के जीवन की डोर है पिता,
बालक की शक्ति का स्रोत है पिता/
जीवन की सच्ची लोर है पिता,
भावनाओं के समुन्दर का जोड़ है पिता/
२०जून का मून का है पिता,
नवजीवन की मौलिक तस्वीर है पिता/
बालक के जीवन की डोर है पिता/

राजकिशोर मिश्र राज

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

2 thoughts on “फादर डे

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी रचना !

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय जी सादर नमन आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए ह्रदय तल से आभार

Comments are closed.