संग तुम्हारे
उम्र की झोली से आज,
कुछ हसीन लम्हें,
चुरा लिये हमने !
तोड जमाने के बंधन सारे,
संग तुम्हारे कुछ ख्बाब ,
बुन लिये हमने !
अंबर की पाक गागर से,
बादल का एक टुकडा,
ले लिया हमने !
बैठकर चाँदनी की छाँव तले,
मोहब्बत के जाम घूँट -घूँट,
पी लिये हमने !
निकल आये दूर, दुनीयाँ से हम,
संग तुम्हारे ,कुछ हसीन लम्हे,
जी लिये हमने !
वक़्त की सलाईयों पर बुने,
सपनो से ,एक सिरा आज ,
फाड लिया हमने !
मोहब्बत पर मज़हब के,
न रहें पहरे,राम रहीम नाम ,
लिख लिये हमने !
जीने -मरने का फ़र्क”आशा”मिट जाये,
जीवन के सारे लम्हें संग तुम्हारे,
लिख लिये हमने !
— राधा श्रोत्रिय “आशा”
बहुत खूब !