गीत : जन्म से पूर्व मुझे न मारो मुझको
देख रही हूं मिटता जीवन,
छाया घोर अन्धेरा।
हर पल जकड़े पथ में मुझको,
शंकाओं का घेरा।
मेरे जीवन की डोरी को,
माता मत यूं तोड़ो॥
मैं भी जन्मूं इस धरती पर,
मुझे अपनों से जोड़ो।
क्यों इतनी निष्ठुर हुई माता ?
क्या है मेरी गलती ।
हाय विधाता, कैसी दुनिया ?
नारी, नारी को छलती ।
समझ सको तो समझो माता,
मुझ बिन सूना आंगन।
याद आऊंगी जब तुमको,
होगा दूभर जीवन ।
मेरी व्यथा सुनो हे माते,
बनो न तुम हत्यारी॥
जीवन दान मुझे दो माता,
धर्म यही है नारी ।
मृत्यु का भय मुझे सताता,
हर पल जी घबराता ।
पलने दो तुम मुझे गर्भ में,
मुझे न मारो माता ।
लक्ष्य जीव का जन्म है लेना,
क्यों मनमानी करती ।
बेटी है सौगात ईश की,
स्वर्ग इसकी से धरती ।
जन्म से पूर्व मुझे न मारो,
मेरी तुमसे विनती।
सब कूछ बेटों को दे देना,
मत करना मेरी गिनती ।
मत करना मेरी गिनती।
— सुरेखा शर्मा
बहुत ही मनोरम कृति