देखो,बरस रहा है पानी…
बादलों से आता
पेड़ों को गुदगुदाता
प्रेम गीत गाता
देखो,सुबह से बरस रहा है पानी ।
फुहारी साड़ी ले आता
पलकों से सहलाता
सोई हसरतें जागता
उदास मौसम को भगाता
देखो, बिन थके लरज़ रहा है पानी।
झरोखों में मुस्काता
याद पी की दिलाता
नेह चिठिया सुनाता
हृदय लहक-लहक जाता
देखो,नवेली दुल्हन सा ठुमक रहा है पानी ।
संग पुरवा के मचलता
झट अलकों पर पसरता
मन फूल सा महकता
टिप-टिप आँगन बरसता
देखो,नरम झोंकों पर फिसल रहा है पानी ।
— कल्पना मिश्रा बाजपेई