दोहे
फिर आँगन में नाचती , बूंदों संग उमंग ।
विरही मन प्यासा रहा, पिया न मेरे संग ।।
बदरा आज उदास है , बरसत हैं ये नैन ।
पिया आस में आज भी , लम्बी होती रैन ।।
सावन लेकर आ गया , शुभ संदेसा आज ।
पैरों में थिरकन हुई, बूंद बनी है साज़ ।।
…गुंजन अग्रवाल
वाह वाह, बहुत खूब बहुत खूब
बहुत अच्छे दोहे।
shukriya sir
दोहे बहुत अछे लगे .
tahe dil se dhnywad sir 🙂
बहुत अच्छे दोहे।
hertly thnx bhaiya 🙂