सामाजिक

जाहिल

जाहिल गंवार की परिभाषा बदल देनी चाहिए

ऑफिस जाने के लिए ज्यूँ ही गाड़ी के पास पहुँचने वाला था कि सर पर गम्भीर चोट लगी .. खून से सारा शरीर भर गया …. अपार्टमेंट का गार्ड आकर सम्भाला और जल्दी से फर्स्ट ऐड की व्यवस्था किया ….. पत्नी और दोस्त की सहायता से अस्पताल जाने पर सर के चोट में एक जगह सात टाँके और दूसरी जगह एक टाँके यानि आठ टाँके लगे ..

ग्यारह मंजिला अपार्टमेंट के किसी मकान से कोई चौपिंग बोर्ड बाहर फेंका जिससे सर पर चोट आई ….. अपने मकान से हम कोई समान क्यूँ फेकते हैं ? ….. अपार्टमेंट में सारी सुविधाएँ होती है …. लिफ्ट , स्वीपर

लेकिन हमारा जाहिलपना ?

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

3 thoughts on “जाहिल

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी बात

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विभा बहन , इस से बड़ी जहालत और किया हो सकती है ? कुछ लफ़्ज़ों में बड़ा सन्देश .

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      आभार भाई जी

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