बाल कविता : लड्डू का पौधा
एक बार पार्टी थी घर में, लड्डू आए बड़े बड़े,
खाते खाते दो लड्डू थाली मे से निकल पड़े,
मां बोली पिंकी से बेटा, नीचे गिरा हुआ मत खाओ,
चिड़िया कोई खा ले इसको , ऐसी जगह पे रख आओ,
बात ये सुनकर पिंकी अपने मन ही मन मे मुस्काई,
उठा के दोनो लड्डू वो एक पेड़ की जड़ मे रख आई,
अगले दिन पिंकी से मिलने, टीना उसके घर आई,
देख आम के पेड़ मे लड्डू , ज़ोरो से वो चिल्लाई,
बोली देखो पिंकी शायद ये मेरी आंख का धोखा है
पिंकी हंसकर बोली,” ना-ना ये तो लड्डू वाला पौधा है।”
— असमा सुबहानी
अच्छी बाल कविता।