कविता

पिछड़ता गांव या शहर(कविता)

ऊंची इमारतों से निकलता धुआँ, पीले पड़े तमाम शाखों के पत्ते, ये ही तो शहर है , जहाँ हर चीज़ बिकती है, नकली हंसी,नकली एहसास, और तो और , चेहरे पर अपनेपन का मुखौटा लगाये, नकली रिश्ते भी, यहाँ सब कुछ मिल जाता है, लेकिन, बस तय है हर चीज़ की, एक कीमत, इन सौदों […]

कविता

आज़ादी 70,याद करो कुर्बानी

सब अपने*मन की बात* करें,मैं अपनी बात बताता हूँ, कल रात दिखा एक स्वप्न मुझे,मैं तुमको आज सुनाता हूँ, एक सत्तर-साला वृद्धा नारी,रस्ते में थी चुपचाप पड़ी, उसकी गहरी काली आँखों से, झरती थी अविरल अश्रु लड़ी, पूछा मैंने की कौन हो तुम, वो लगी छिपाने मुँह अपना, *माता* सब उसको कहते थे,पर कोई न […]

बाल कविता

बाल-कविता : जंगल की व्यथा

एक बार की बात सुनो,जंगल में पड़ा  अकाल, भूख प्यास से तड़पे सारे,हाल हुआ बेहाल, एक- एक कर ,सूखे सारे ताल -तलैया,नाले, संकट की इस घड़ी में बोलो, किसको कौन संभाले, किसी ने जाकर राजा को , जब ये बात बताई, झट राजा ने महल में अपने सभा एक बुलवाई, देख प्रजा की ऐसी हालत […]

बाल कविता

बाल कविता : हवा में किसने ज़हर मिलाया

दादा जी को खांसी छूटी, दादी मां की आंखे फूटी, लौकी ,तोरी में इंजेक्शन, करते बाॅडी में इंफेक्शन, साईकिल नहीं चलाता कोई पेड़ो की हरियाली खोई, पानी में मछली रोती है, जंगल में चिड़िया रोती है, कटे पेड़,बंजर धरती पर, इसी तरह जीवन ढोती है, जल,धरती और वायु में ऐसे ज़हर ना घोलो, नहीं रहा […]

बाल कविता

बाल कविता : नाच रहे थे खुशी में सारे

नाच रहे थे खुशी में सारे, रिमझिम बारिश बरस रही, पर जाने क्यूं,एक कोने में, बैठी चिड़िया सुबक रही, पूछा तो बोली देखो वर्षा ने, मेरा घरौंदा गिरा दिया क्या करूं और कहां जाऊं मैं, घर अब मेरा नहीं रहा, सुनकर बात ये उसकी मेरे, दिल को आया बड़ा मलाल, रोओ नहीं,रो रो कर तुमने […]

गीतिका/ग़ज़ल

नज़्म/गज़ल

कलम में कैद रहते है,तो दम घुटता है लफ्ज़ो का, रिहा होकर बाहर निकले ,तो खुल कर सांस लेते है, कभी नासूर भी इन्सान को ना दर्द दे पाए, कभी छोटे से घाव भी बड़ी तकलीफ देते है, गया वो दौर जब इन्सानियत लोगो में ज़िन्दा थी, कि अब तो लोग,मुर्दो का कफन भी बेच […]

बाल कविता

बाल कविता : स्कूल चलो

पाँच साल की हुई जो सिमरन, दादा बोले चल, नाम लिखा आता हूं स्कूल में पढ लिख कर बनो सफल, बेमन से होकर तैयार, बिटिया चली स्कूल, पूरे दिन बस खेल खेलना, कैसे जाती भूल, भूख लगी जब लंच टाईम में, डिब्बा उसने खोला, बड़े प्यार से भोला मिन्टू , आकर उससे बोला, आओ सिमरन […]

बाल कविता

बाल कविता : लड्डू का पौधा

एक बार पार्टी थी घर में, लड्डू आए बड़े बड़े, खाते खाते दो लड्डू थाली मे से निकल पड़े, मां बोली पिंकी से बेटा, नीचे गिरा हुआ मत खाओ, चिड़िया कोई खा ले इसको , ऐसी जगह पे रख आओ, बात ये सुनकर पिंकी अपने मन ही मन मे मुस्काई, उठा के दोनो लड्डू वो […]

बाल कविता

बालकविता  स्कूल

चुनमुन चुनमुन चल स्कूल, झाड़ किताबो की अब धूल, छुट्टी मे इतना खेले कि पढ़ना लिखना गए सब भूल खत्म हो गई छुट्टी अब तो, रोज़ विद्यालय जाऐंगें, पढ़लिख कर कुछ बन पाऐ काम सभी के आऐंगे।। — असमा सुबहानी