“मत ठुकराओ सनम”
बोलो सजन मंजूर है क्या
तनिक बताओ कसूर है क्या
छाई रहूँ कि परछाई रहूँ
तेरे नैनों में मेरा गुरुर है क्या ||
नजरों में तेरा ही श्रृंगार करूँ
हर पल तेरा ही दीदार करूँ
तुं माने कहाँ तुं जाने कहाँ
तुझे सपनों में पाके गुहार करूँ ||
तुं रूठा रहें मै मनाती रहूँ
सांसों से सांसें मिलाती रहूँ
तुने पिया मेरा गहना लिया
अब किस जेवर को लुटाती रहूँ ||
मानों सनम मत जाओ सनम
सौतन से न नेह लगाओ सनम
खोल चित-चितवन से देखों मुझे
सात फेरों को मत ठुकराओ सनम ||
महातम मिश्र
वाह
सादर धन्यवाद विजय कुमार सिंघल जी, आप की प्रतिक्रिया से मनोबल बढता है