हास्य व्यंग्य

हास्य व्यंग : नारद की छुट्टी

हास्य व्यंग
नारद की छुट्टी
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बदल गया अब जीर्ण ज़माना ,
नारद जी भारत आये /
देखा जन -जन के हाथोंदेखा,
इक छोटा सा खिलौना[मोबाईल] /
कुछ देर रहे भौचक्के नारद ,
पागल जैसे करते बात /
मोबाईल पर बोल रहे हैं ,,,
न कोई दूसर प्राणी /
,
नारद की उत्सुकता जागी ,
जाकर उनसे पूँछ रहे हैं /
क्या है कष्ट तुम्हे भाई ?
जो अपने आप ही बोल रहे हो /
नारद को पहचान गया वह ,
साष्टांग कर बोल उठा वह /
इतना विस्मय क्यों होते ,
अभी बात करवाता हूँ /
[२]
झट डायल नंबर किया ,
सुनी तभी आवाज /
कहाँ मिलेगा पीस यह ,
मुझे बताओ राज /
मुझे बताओ राज ,
चाहिए मोबाईल ऐसा/
इधर -उधर वे वजह मै जाऊं,
कर लूँगा इससे ही बात /
गये गैलरी नारद जी ,
देखें बहुत तरह के पीस /
नोकिया ,सैमसंग ,ब्लैकबेरी का ,
देखे तरह – तरह का माडल /
ब्लैकबेरी १ ० जेड को देखे ,
नोकिया लुमिया 9 २ ५ ,
सैमसंग गैलेक्सी यस ४ /
बिल देख नारद जी बोले ,
चेक दे दूँ मै किसके नाम /
दुकानदार झट बोल उठा ,
चेक से नहीं चलेगा काम /
आर टी जी एस /एन ई ऍफ़ टी
करवाओ ,,
किसी बैंक से डी .डी बनवाओ /
गये बैंक नारद जी देखे लम्बी लाईन,
मैनेजर से बोले उठे,
, एक डी डी करि दा साईन
[3]
जब से नारद मोबाईल लाये ,
देव लोक में चर्चा /
वित्त मंत्री कुबेर जी आये
बढ़ गया नया ई खर्चा /
आपातकालीन मीटिंग बुलाये ,
भई इसी पर चर्चा /
नारद का अब छुट्टी
कर दो बढ़ा दिए
ये खर्चा /
देव लोक में खूब हो रही
मोबाईल की चर्चा ./
राजकिशोर मिश्र राज ….,,,,
29/06/2015

 

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

4 thoughts on “हास्य व्यंग : नारद की छुट्टी

  • विजय कुमार सिंघल

    करारा व्यंग्य !

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय हौसला अफजाई के लिए आभार

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    हा हा बहुत अच्छा रहा नारद मुनि जी का मोबाइल .

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय जी आपकी पसंद एवम् हौसला अफजाई के लिए कोटिश आभार /

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