क्षणिकाएँ
क्षणिकाएँ
“मौन की भाषा”
‘मौन की भाषा
आसान नहीं होती’
“प्रेम में मौन रहकर भी
कुछ लोग
सब कुछ कह जाते हैं”
—
“मौन”
‘काश!
तुम समझ पाती’
“कि मैं मौन रहकर भी
इजहार कर रहा हूँ”
—
“बातें”
सारी बातें
कही नहीं जाती
‘अनकही’
बातें भी
तुम समझा करों।
– अमन चाँदपुरी
अति उत्तम
sundar