ग़ज़ल लिखते हैं…..
चलो एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखते हैं |
यूंही उलझे-सुलझे शामो सहर लिखते हैं |
कहीं ज़िन्दगी की कोई असलियत लिखते हैं |
कहीं कल्पनाओं के सफ़र लिखते हैं |
चलो एक खूबसूरत……..
कहीं सब कुछ पाकर भी कोई हो परेशाँ |
कहीं अगर मिल जाए किसी से कोई |
यूंही बिछड़ने का सबब लिखते हैं |
कुछ मुस्कुराहटों के पल लिखते हैं |
चलो एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखते हैं |||
— कामनी गुप्ता
bahut khubsurat gazal
अच्छी कविता।
धन्यवाद सरजी