मुझे भी जीने दे
जीना है मुझे…..हाँ जीना है मुझे भी …मुझे भी जीने दे |
ना घोल ज़हर नफ़रतों का यूँ कि…..
मुझे भी प्यार से दुनिया मे रह लेने दे |
जीना है मुझे….हाँ जीना है मुझे भी…..मुझे भी जीने दे|
रूह भी थरथराए कभी ,कभी आँख पथरा जाए |
कैसा यह शहर है तेरा मुझे समझ ना आए |
आँसुओं को ना रोक आज कि हैं यह उम्मीद के .
इन्हें आज जीभर के यूँही बह लेने दे |
जीना है मुझे…हाँ जीना है मुझे भी…..मुझे भी जीने दे |||
— कामनी गुप्ता
बढ़िया !