दोहा मुक्तक
टूटी-फूटी जिन्दगी, अपनी है जादाद।
मालिक ने हमसे किया, कभी नहीं संवाद।।
मार रहे धनवान हैं, निर्धन को अब लात।
उसकी किस्मत में नहीं, रही दाल औ’ भात।।
– अमन चाँदपुरी
टूटी-फूटी जिन्दगी, अपनी है जादाद।
मालिक ने हमसे किया, कभी नहीं संवाद।।
मार रहे धनवान हैं, निर्धन को अब लात।
उसकी किस्मत में नहीं, रही दाल औ’ भात।।
– अमन चाँदपुरी
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बढ़िया दोहा , मात्रभार के साथ शब्दों पर विशेष ध्यान दे अमन जी /
ठीक हैं.