क़त’आ
भीगी पलकें सुखा लिया हमने,
दिल को पत्थर बना लिया हमने।
सर्द आहों से सिल लिये लब को,
रूप सादा बना लिया हमने।
दाद कुछ दो कि किस क़रीने से,
तेरी फितरत छुपा लिया हमने।
भीगी पलकें सुखा लिया हमने,
दिल को पत्थर बना लिया हमने।
सर्द आहों से सिल लिये लब को,
रूप सादा बना लिया हमने।
दाद कुछ दो कि किस क़रीने से,
तेरी फितरत छुपा लिया हमने।
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बहुत सुन्दर !