हास्य व्यंग्य

यथार्त व्यंग : उल्लू और हंस

अब उल्लू करे शृंगार, बाराती भालू बंदर,
हंस खड़े रुक जाय, बाराती भालू बंदर //१
कोट पैंट मैकाले वाली, आज रंगाए उल्लू,
तितऊ लौकी नीम संगाती, झब्बू कालू अंदर// २
अप्पू गप्पू पप्पू मिलकर, करे टीम तैयार,
सचिव झूठ -फरेब सजाती, डालू बंदर //३
करे काम सब कौवा, जाकर दुष्ट विचार,
कोयल पंक्ति से बाहर हो गयी भालू अंदर// ४
गृह मंत्री सियार बनाए, शाही हुआ है संतरी,
ख़तरे की घंटी टल गयी .बना भालू सिकंदर //5
शेर सभी सियार हो गये, जब से आया भालू,
अब मीटिंग करत साजाती, प्यारे भालू बंदर//6

राज किशोर मिश्र ‘राज

04/07/2015

राज किशोर मिश्र 'राज'

संक्षिप्त परिचय मै राजकिशोर मिश्र 'राज' प्रतापगढ़ी कवि , लेखक , साहित्यकार हूँ । लेखन मेरा शौक - शब्द -शब्द की मणिका पिरो का बनाता हूँ छंद, यति गति अलंकारित भावों से उदभित रसना का माधुर्य भाव ही मेरा परिचय है १९९६ में राजनीति शास्त्र से परास्नातक डा . राममनोहर लोहिया विश्वविद्यालय से राजनैतिक विचारको के विचारों गहन अध्ययन व्याकरण और छ्न्द विधाओं को समझने /जानने का दौर रहा । प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश मेरी शिक्षा स्थली रही ,अपने अंतर्मन भावों को सहज छ्न्द मणिका में पिरों कर साकार रूप प्रदान करते हुए कवि धर्म का निर्वहन करता हूँ । संदेशपद सामयिक परिदृश्य मेरी लेखनी के ओज एवम् प्रेरणा स्रोत हैं । वार्णिक , मात्रिक, छ्न्दमुक्त रचनाओं के साथ -साथ गद्य विधा में उपन्यास , एकांकी , कहानी सतत लिखता रहता हूँ । प्रकाशित साझा संकलन - युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच का उत्कर्ष संग्रह २०१५ , अब तो २०१६, रजनीगंधा , विहग प्रीति के , आदि यत्र तत्र पत्र पत्रिकाओं में निरंतर रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं सम्मान --- युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच से साहित्य गौरव सम्मान , सशक्त लेखनी सम्मान , साहित्य सरोज सारस्वत सम्मान आदि

4 thoughts on “यथार्त व्यंग : उल्लू और हंस

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    वाह वाह .

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय सादर नमन, हौसला अफजाई के लिए आभार /

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

    • राज किशोर मिश्र 'राज'

      आदरणीय सप्रेम नमस्ते, हौसला अफजाई के लिए आभार /

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