यथार्त व्यंग : उल्लू और हंस
अब उल्लू करे शृंगार, बाराती भालू बंदर,
हंस खड़े रुक जाय, बाराती भालू बंदर //१
कोट पैंट मैकाले वाली, आज रंगाए उल्लू,
तितऊ लौकी नीम संगाती, झब्बू कालू अंदर// २
अप्पू गप्पू पप्पू मिलकर, करे टीम तैयार,
सचिव झूठ -फरेब सजाती, डालू बंदर //३
करे काम सब कौवा, जाकर दुष्ट विचार,
कोयल पंक्ति से बाहर हो गयी भालू अंदर// ४
गृह मंत्री सियार बनाए, शाही हुआ है संतरी,
ख़तरे की घंटी टल गयी .बना भालू सिकंदर //5
शेर सभी सियार हो गये, जब से आया भालू,
अब मीटिंग करत साजाती, प्यारे भालू बंदर//6
राज किशोर मिश्र ‘राज
04/07/2015
वाह वाह .
आदरणीय सादर नमन, हौसला अफजाई के लिए आभार /
बहुत खूब !
आदरणीय सप्रेम नमस्ते, हौसला अफजाई के लिए आभार /