कविता

ग़ज़ल

आओ कभी गिला करें तो ऐसे कि अपनापन सा लगे |
तुमसे मिलकर भी तुम्हारी कमी खलती है क्यों ,
चलो कभी ऐसे भी मिले कि दिल को अच्छा भी लगे |
क्या बात है कि होंठ कुछ आँखें कुछ कह रही हैं |
चलो अब तो दिल से मुस्काए कि बनावटी ना लगे |
तुम्हारा ही इन्तज़ार तुम्हारी ही जुस्तजु है हर बार ,
अब के ऐसे मिलो कि कभी फिर अजनबी ना लगे |

— कामनी गुप्ता

कामनी गुप्ता

माता जी का नाम - स्व.रानी गुप्ता पिता जी का नाम - श्री सुभाष चन्द्र गुप्ता जन्म स्थान - जम्मू पढ़ाई - M.sc. in mathematics अभी तक भाषा सहोदरी सोपान -2 का साँझा संग्रह से लेखन की शुरूआत की है |अभी और अच्छा कर पाऊँ इसके लिए प्रयासरत रहूंगी |

4 thoughts on “ग़ज़ल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

    • Thanks ji

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! सुन्दर !!

    • Thanks sirji

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