गीतिका/ग़ज़ल

बरसात का ये मौसम कितना हसीन है /गज़ल

बरसात का ये मौसम, कितना हसीन है!

बादल-धरा का संगम, कितना हसीन है!

 

जाती नज़र जहाँ तक, बौछार की बहार,

बूँदों का नृत्य छम-छम, कितना हसीन है!

 

कागज़ की किश्तियों में, तिरते ये बाल गण,

औ’ भीगने का ये क्रम, कितना हसीन है!

 

विहगों की रागिनी है, कोयल की कूक भी,

उपवन का रूप अनुपम, कितना हसीन है!

 

झूलों पे पींग भरतीं, इठलातीं तरुणियाँ,

सावन सुनाता सरगम, कितना हसीन है!

 

मित्रों का साथ हो तो, आनंद दो गुना,

मुस्काता मंद आलम, कितना हसीन है!

 

हर मन का मैल मेटे, सुखदाई मानसून

हर मन का नेक हमदम, कितना हसीन है!

 

-कल्पना रामानी

*कल्पना रामानी

परिचय- नाम-कल्पना रामानी जन्म तिथि-६ जून १९५१ जन्म-स्थान उज्जैन (मध्य प्रदेश) वर्तमान निवास-नवी मुंबई शिक्षा-हाई स्कूल आत्म कथ्य- औपचारिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद मेरे साहित्य प्रेम ने निरंतर पढ़ते रहने के अभ्यास में रखा। परिवार की देखभाल के व्यस्त समय से मुक्ति पाकर मेरा साहित्य प्रेम लेखन की ओर मुड़ा और कंप्यूटर से जुड़ने के बाद मेरी काव्य कला को देश विदेश में पहचान और सराहना मिली । मेरी गीत, गजल, दोहे कुण्डलिया आदि छंद-रचनाओं में विशेष रुचि है और रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं और अंतर्जाल पर प्रकाशित होती रहती हैं। वर्तमान में वेब की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘अभिव्यक्ति-अनुभूति’ की उप संपादक। प्रकाशित कृतियाँ- नवगीत संग्रह “हौसलों के पंख”।(पूर्णिमा जी द्वारा नवांकुर पुरस्कार व सम्मान प्राप्त) एक गज़ल तथा गीत-नवगीत संग्रह प्रकाशनाधीन। ईमेल- [email protected]

2 thoughts on “बरसात का ये मौसम कितना हसीन है /गज़ल

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी ग़ज़ल.

  • विजय कुमार सिंघल

    बेहतरीन कविता !

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