बरसात का ये मौसम कितना हसीन है /गज़ल
बरसात का ये मौसम, कितना हसीन है!
बादल-धरा का संगम, कितना हसीन है!
जाती नज़र जहाँ तक, बौछार की बहार,
बूँदों का नृत्य छम-छम, कितना हसीन है!
कागज़ की किश्तियों में, तिरते ये बाल गण,
औ’ भीगने का ये क्रम, कितना हसीन है!
विहगों की रागिनी है, कोयल की कूक भी,
उपवन का रूप अनुपम, कितना हसीन है!
झूलों पे पींग भरतीं, इठलातीं तरुणियाँ,
सावन सुनाता सरगम, कितना हसीन है!
मित्रों का साथ हो तो, आनंद दो गुना,
मुस्काता मंद आलम, कितना हसीन है!
हर मन का मैल मेटे, सुखदाई मानसून
हर मन का नेक हमदम, कितना हसीन है!
-कल्पना रामानी
बहुत अच्छी ग़ज़ल.
बेहतरीन कविता !