गीतिका/ग़ज़ल

“अँधेरी नज्म”

कहीं टूटकर बिखर न जाए गजल

डर है जख्मे हालात लिखता नहीं |

अल्फाजों का बिकता देखा बाजार

वजह इतनी, और मै बिकता नहीं ||

कौन पढता है ऐसी-वैसी गजल

किताबां कोरे पन्ने सजता नहीं |

लिखूं एक हर्फ़सरेआम हों जाऊँ

अत्फ की अधेली जेब रखता नहीं ||

लुट ली जाती अस्मत चौराहे पर

आईना कहता है हमें दिखता नहीं |

भरभरा जाती हैं छतें यूँही कैसे

हथौड़ा कहीं खुद तो चलता नहीं ||

सजाना बिस्तर मुझे आता नहीं

गुलमुहर की छाँव मै रुकता नहीं |

खुद्दार जीता है अपनी मरजी

किसी फहरिस्त पर मरता नहीं ||

रोशनी में मुखडा पढ़ा तो मैंने

अँधेरी नज्म हूँ कभी थकता नहीं |

हलफ से खींचकर निकालूं मिसरा

हजारों बंद है बेवक्त कहता नहीं ||

न आंकना कम कलम रे असल्हे

कहती उठा लो पर मै झुकता नहीं|

समय कहता इतिहास के पन्नों में

रुआबे तख़्त देर तक टिकता नहीं ||

महातम मिश्र

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ

10 thoughts on ““अँधेरी नज्म”

  • Manoj Pandey

    उर्दू भाषा की संधियाँ उर्दू की अच्छी जानकारी बगैर संभव नहीं है। उदाहरण स्वरूप ‘ज़ख्मे-हालात’ सही नहीं है। यहाँ ‘हालते-ज़ख्म’ होना चाहिये । जिस प्रकार ये भाषा उल्टी लिखी जाती है, उसी प्रकार इसकी संधि भी उल्टी बनती है। पहले वाली संधि का अर्थ है ‘हालात के ज़ख्म’ जब कि दूसरी वाली का अर्थ है ‘ज़ख्म की हालत’।

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय श्री मनोज पाण्डेय जी

  • राज किशोर मिश्र 'राज'

    बहुत बढ़िया ग़ज़ल

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद श्री राजकिशोर मिश्र जी, आभार

  • Manoj Pandey

    यह नज़्म नहीं है। विधा इसकी ग़ज़ल की ही है।

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय श्री मनोज पाण्डेय जी, आप ने रचना के गुणदोष को बताकर मेरे ऊपर बहुत बडा उपकार किया है मान्यवर इसके लिए मै आप का सादर आभार दिल से व्यक्त करता हूँ, सही है जख्मे हालात ही होना चाहिए जो भूल बस हों गया और सही कहूँ तो उर्दू का इतना ज्ञान भी नहीं है पर कहीं कहीं शब्द आ ही जाते हैं | अब प्रयास रहेगा कि बिना जानकरी के शब्दों का प्रयोग न करूँ | नज्म तो नहीं है हाँ गजल की विधा देने का प्रयास था और नाम अँधेरी नज्म अच्छा लगा, अपना स्नेह बनाये रखे और मार्गदर्शन करते रहें मान्यवर, आभार

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी नज़्म !

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद आदरणीय विजय कुमार सिंघल जी, आभार

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत अच्छी ग़ज़ल.

    • महातम मिश्र

      सादर धन्यवाद श्री गुरमेल सिंह जी, आभार

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