हास्य व्यंग्य

व्यंग्य : आईपीएस हो तो सरकार का काम करो…

ठाकुर दम्पति को लग रहा था कि मुलायम सिंह अमूल चीज का टुकड़ा हैं जिसे वो मजे से खा जायेंगे| भईये जिस नेता जी ने ममता बहन को लखनऊ बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस में साथ में खड़े होकर बेरंग कोलकाता भिजवा दिया, वो नेताजी अमूल चीज का टुकड़ा नहीं, कडक सुपारी हैं, दांत तोड़ने के बाद ही टूटती है ये सुपारी| आप किस खेत की मूली हैं? आईपीएस याने वो प्रजाति , जिसे अंग्रेज अपनी जगह राज करने के लिए छोड़ गए| अपने चक्कर सोफिस्टीकेटेड टाईप के नेताओं पर चलाना| नेता जी ने सीपीएम जैसी पार्टी और प्रकाश करात जैसे होशियार आदमी को चारों खाने चित्त करके मनमोहन सिंह की सरकार को डेढ़ साल की आक्सीजन दे दी थी| आपका रिकार्ड तो वैसे भी खराब है| आईपीएस हो तो सरकार का काम करो| ये क्या पब्लिक फंड से तनख्वाह लोगे और रोज रोज हाई कोर्ट/ सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल लगाते रहोगे| याने खाओगे श्यामनाथ की और बजाओगे राजनाथ की, नेता जी के सामने ये चलने वाला नहीं ठाकुर| बचवा, व्हिस्लब्लोवर, बागी या लोकप्रिय बनने की इतनी ही चाहत है तो मारो सरकारी नौकरी को लात और बन जाओ केजरीवाल| या फिर यह कहो कि तुम्हारा टांका भाजपा के साथ भिड़ गया है और अब तुम भाजपा के आजअनाथके इशारे पर उछल कूद कर रहे हो|

मोदी जी हमारे प्रधानमंत्री हैं, उनकी बात को समझो! आई टी का ज़माना है| कुछ छिप नहीं सकता| उन्होंने इसी आईटी की बदौलत कांग्रेस की सारी पोल पट्टी मीडिया के जरिये पूरे देश की पब्लिक के सामने लाई थी, और पब्लिक हर गली, चौराहे में गाती घूमती थी “ये पब्लिक है ये सब जानती है, ये पब्लिक हैऔर मोदी जी चुनाव जीत गए थे| बोले तो, आपके बारे में भी सब लीक हो गया है| आपका पूरा परिवार पेशेवर पीआईऐली है| सुना है आपकी पत्नी ने पिछले तीन-चार साल में डेढ़ सौ पीआईएल लगाई हैं| यहाँ तक की कोर्ट भी परेशान है, आप लोगों से| कोर्ट ने आपकी पत्नी को हर पीआईएल पर 25 हजार रुपये जमा करने का आदेश दिया है| और कहा है कि ये पैसे तभी वापस किए जाएंगे जब पीआईएल सही पाई जाएगी। अब हम यह तो न पूछेंगे कि हर पीआईएल के लिए पच्चीस हजार रुपये कहाँ से आयेंगे| इसलिए नहीं पूछेंगे क्योंकि हमने वह गाना अच्छे से सुना है कि उपर वाला जब भी देता, देता छप्पर फाड़ के‘|हमने तो यह भी सूना है ठाकुर साहब कि इसी साल लखनऊ कोर्ट की बेंच ने आपकी पत्नी नूतन ठाकुर पर ओछी पीआईएल दाखिल करने के लिए एक लाख का जुर्माना लगाया था।

बहरहाल, हमारी आदत किसी और के टंटे में अपनी टंगड़ी डालने की बिलकुल नहीं है| वह तो आपने कहा कि आप यह सब इसलिए करते हैं क्योंकि आपको इंसाफ के साथ लगाव है और आप किसी की मदद करते हो तो आपको बढ़िया लगता है और आख़िरी और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कि आप यह सब अपनी पहचान बनाने के लिए करते हैं| यह तो आप अपनी आईपीएसगिरी करते हुए भी कर सकते थे और एक नेकदिल, इन्साफ पसंद, दूसरों का मददगार अधिकारी के रूप में नाम कमा सकते थे| इसके लिए आप सिंघम के दोनों पार्ट भी देख सकते थे| ये आईपीएसगिरी छोड़कर एफआईआर और पीआईएल वगैरह केचक्कर में पड़ने की क्या जरुरत थी और वह भी हमारे टेक्स के पैसों से मिलने वाली तनख्वाह के बल पर| पर, क्या किया जाए, ये पहचान बनाने का शौक मुआ जुएँ-दारु से ज्यादा लती होता है|

हमारे एक गुरु थे| उनकी फौत हो गयी| उन्हें जन्नत नसीब हो! तो, गुरूजी कहा करते थे कि अपनी पहचान बनाने का सबसे आसान तरीका है सारे कपड़े उतारकर बीच बाजार में नंगे दौड़ जाओ| पर, आप ऐसा नहीं करना| हम आपको कारण भी बता देते हैं, हमारे शहर में भी एक ठाकुर साहब थे, अब पता नहीं कहाँ हैं? वो आईएएस की तैय्यारी कर रहे थे| उन्हें अपनी पहचान बनाने की बड़ी जल्दी थी, बस एक दिन रात को सारे कपड़े उतारकर ठाकुर साहब स्कूटर पर सैर के लिए निकल पड़े| फिर, आप ही की बिरादरी के किसी अधिकारी के चंगुल में फंसे| धुम्मस हुई, दूसरे दिन अखबार में नाम आया और पहचान बन गयी| तो, वैसे तो बिना माँगी सलाह की कोई वकत नहीं होती, पर हम भी अपनी आदत से मजबूर हैं, दिए देते हैं कि आप ऐसा कतई नहीं करना| आप तोहमारे टेक्स के पैसों को खानदानी संपत्ति मानकर सरकारी खजाने से तनख्वाह लेते हुए पूरे परिवार सहित पीएलआई में लगे रहो| हां, ये व्यवसाय और अच्छेसे चले और ये मुलायम रूपी विघ्न बाधाएं व्यवसाय में रुकावट न डालें, इसके लिए निर्मल बाबा से सलाह ले लें| बच्चे विरोध करेंगे, पर आप ध्यान न देना|हो सकता है बाबा आपको कोई अच्छा सा टोटका बता दे..|

अरुण कान्त शुक्ला

अरुण कान्त शुक्ला

नाम : अरुण कान्त शुक्ला, ३१/७९, न्यू शान्ति नगर, पुराणी पाईप फेक्ट्री रोड, रायपुर, परिचय : ट्रेड युनियन में सक्रिय था, भारतीय जीवन बीमा निगम से पांच वर्ष पूर्व रिटायर्ड , देशबंधु, छत्तीसगढ़ में लेखन, साहित्य में रुची, लेखों के अलावा कहानी, कविता, गजल भी लिखता हूँ,, मोबाइल नंबर : 9425208198 ईमेल पता : [email protected]

2 thoughts on “व्यंग्य : आईपीएस हो तो सरकार का काम करो…

  • विजय कुमार सिंघल

    करारा व्यंग्य लेख। लेकिन सरकारी अधिकारी रहते हुए क्या कोई ईमानदार व्यक्ति अन्याय और भ्रष्टाचार को देखकर शुतुरमुर्ग बन जाये।

    • अरुण कान्त शुक्ला

      जी, बिलकुल नहीं| देश में अनेकों इमानदार अधिकारी हैं जो अपने कार्यों से आम और गरीब लोगों की असीम सहायता कर रहे हैं| सीधे राजनीतिज्ञों और बड़े अधिकारियों से पंगा लेकर स्वयं को पंगु बनाकर और अपनी असहायता का परिचय देकर नाम कमाने के चक्कर वाले अधिकारी अलग पहचान में आते हैं| 11 अप्रैल 2014 को प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के
      सदस्यों को मिली सुरक्षा के खिलाफ नूतन ठाकुर की पीआईएल पर सुनवाई करते हुए
      कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था। बेंच ने कहा था कि इस तरह की पीआईएल
      लोकप्रियता हासिल करने का एक जरिया है। मैंने लेख के अंत में अपने शहर के एक ठाकुर का जिक्र किया है जो सच्ची घटना है| मेरे ही शहर में एक और व्यापारी है, जो अभी तक करीब करीब पच्चीस से ज्यादा कार्यालयों के छोटे-बड़े कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ छोटी सी या बिना वजह मुकदमे लगाता है| इस काम में वह अपनी पत्नी और बच्चों तक को शामिल करता है| इसी व्यापारी ने एक बार अपने १२साल के बच्चे को भेजकर एसपी को उसी के दफ्तर में थप्पड़ लगवा दिया था| मैं निर्मल बाबा क्या, ऐसे सभी बाबाओं के सख्त खिलाफ हूँ| पर, यही वे अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने बच्चों से निर्मल बाबा के खिलाफ पीआईएल लगवाई थी| अभी उनके बच्चों की उम्र 20और 17 वर्ष है याने आज से लगभग 4साल पहले वे 16और 13साल के होंगे| इस उम्र के बच्चे सामान्यता: पढ़ाई लिखाई छोड़कर इस धंधे में नहीं पड़ते| परिक्षा में सफलता पढ़ाई करने से मिलती है, निर्मल बाबा के काले पर्स को जेब में रखने से नहीं| इसीलिये मैंने अंत में निर्मल बाबा का आशीर्वाद लेने कहा था| मैं कठोर नहीं होता हूँ, इसलिए विवरण नहीं दिया था| ठाकुर साहब शुतुरमुर्ग ही हैं, साधारण लोगों के मामले में| आशा है , आप मेरा आशय समझ गए होंगे|

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