कविता

श्रद्धा सुमन

लो आओ आज

फिर एक बार,

कर लें अर्पण

श्रद्धा  सुमन

उन वीरों को जो,

मिट मरे वतन के लिए

कर लें याद ,क

उन वीरों की ,

जो  गए  दे स्वतंत्रता हमें,

मिटा कर अपने को ,

की लड़ाई उन्होंने देश के लिए ,

और किया मुक्त हमें ,

अंग्रेजों के ज़ुल्मों से ,

जारी है लड़ाई आज भी ,

बस फर्क इतना  है ,

कि लड़े वो समूची

मानव जाति के लिए ,

और आज मारता है ,

भाई , भाई को ही ,

आओ दोहरा लें ,

इतिहास  फिर दिलों में अपने ,

और हो जाएँ सावधान ,

ताकि हर न ले,

फिर आज़ादी  कोई ,

आओ करें अर्पण ,

श्रद्धा  सुमन  उन वीरों को ,

जो दे गए विरासत में,

हमें भारत देश प्यारा

भारत देश प्यारा !!!!!

—  मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |

One thought on “श्रद्धा सुमन

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत खूब !

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