कविता :- चित्रात्मक
डरी हुई सी, सहमी हुई सी,सूनसान रास्ता में,
किसी को देख रही है प्रकाशित,प्रकाश में,
एक बच्चे का प्यार छलक पड़ा प्यारी गोद में ,
भय का भाव लिये खड़ी है विरान सा जगहों में।
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इस स्थिति को अनुभव कर रहा वह छोटा बच्चा
जकड़ा हुआ है, भयमय पल में वह छोटा बच्चा
आक्रमण का आक्रमकता देख ,वह भयभीत है,
समस्या से निजात पाने का सोच रहा वह बच्चा।
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हिंसा का डर मन में पालकर सोच में पड़ गए हैं
वहाँ से निकलने का, कोई तरकीब सोच रहे हैं
क्या करें वह भागने का, हिम्मत नहीं जुटा पाते
इसी से जड़वत,गोद में एक भाई चिपक गया है
@रमेश कुमार सिंह /२५-०६-२०१५
अच्छी रचना!!
कविता की पृष्ठभूमि और भाव अच्छे हैं लेकिन शब्दों और वाक्यों में वर्तनी और व्याकरण की ढेर सारी ग़लतियों ने सत्यानाश कर दिया है।
धन्यवाद श्रीमान जी देखते हैं कोशिश करेंगे!!