मुक्तक/दोहा दोहा कामनी गुप्ता 20/07/201527/07/2015 युग – युग से है प्रेम की, देखो ये ही रीत | मिल ही जाये सब उसे ,मन सच्ची हो प्रीत || — कामनी गुप्ता