लघुकथा

लघुकथा : दर्द

सुनीता के फोन रिसीव करते ही उसकी सहेली नेहा की शिकायती आवाज सुनाई दी,”क्या सूमी!कहाँ थी यार?कितनी बार कॉल किया,अब जाकर अटेँड किया तूने।”

सुनीता ने हँसकर कहा, “नहीं नेहा,मैं थोड़ा खाना बना रही थी इसलिए थोड़ी देर हो गई।”
नेहा आश्चर्य से बोली,”क्या क्या क्या..अब तू सिक्टी प्लस में भी खाना बना रही है? तेरी बहू और लड़के कहाँ हैं?”

सुनीता ने बताया कि उसकी बहू-लड़के नौकरी कर रहे हैं उन्हें इतनी फुर्सत कहाँ मिलती है इसलिए धीरे-धीरे भोजन बनाकर अपना पेट भरती हूँ और कभी-कभी भोजन जल जाने पर दूध-ब्रेड खाकर दिन गुजार देती हूँ।

नेहा ने बताया- “मैं भी इसी दर्द को झेल रही हूँ। अथक परिश्रम का क्या यही फल है?”सुनीता की आँखें गीली हो गईं।

पीयूष कुमार द्विवेदी ‘पूतू’

पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'

स्नातकोत्तर (हिंदी साहित्य स्वर्ण पदक सहित),यू.जी.सी.नेट (पाँच बार) जन्मतिथि-03/07/1991 विशिष्ट पहचान -शत प्रतिशत विकलांग संप्रति-असिस्टेँट प्रोफेसर (हिंदी विभाग,जगद्गुरु रामभद्राचार्य विकलांग विश्वविद्यालय चित्रकूट,उत्तर प्रदेश) रुचियाँ-लेखन एवं पठन भाषा ज्ञान-हिंदी,संस्कृत,अंग्रेजी,उर्दू। रचनाएँ-अंतर्मन (संयुक्त काव्य संग्रह),समकालीन दोहा कोश में दोहे शामिल,किरनां दा कबीला (पंजाबी संयुक्त काव्य संग्रह),कविता अनवरत-1(संयुक्त काव्य संग्रह),यशधारा(संयुक्त काव्य संग्रह)में रचनाएँ शामिल। विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। संपर्क- ग्राम-टीसी,पोस्ट-हसवा,जिला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)-212645 मो.-08604112963 ई.मेल[email protected]