कारगिल फतह
नाज तो सदा ही रहा
अपने देश के जवानों पर
जो मर मिटते है हर घङी
करते फक्र बलिदानों पर
आज नमन मेरा उनके
घर और परिवार को
जो भेजते सीमा पर अपने
जिगर के टुकङे लाल को
हम सुरक्षित है यहां पर
उनकी चौकसी शान से
जो रहते सीमा पर हरदम
अपने ही अभिमान से
शत् शत् नमन कारगिल फतह को
जिसने रचा एक इतिहास
आज भी गर्वित होता भारत
बढा है और इक विश्वास
— एकता सारदा
बेहतर सामयिक कविता