बोधकथा

जीवन में छोटे अवकाश का महत्व

एक लकड़हारे युवक की कहानी है। लकड़हारा काफी मेहनती था। वह दिन में अवकाश के समय भी काम करता रहता और उन बुज़ुर्ग लोगों से उसे शिकायत रहती कि वे दिन में कई बार कुछ न कुछ पीने और गप्प हांकने के लिए बेवजह काम रोक कर समय नष्ट करते हैं। जैसे जैसे समय बीतता गया, उस युवा ने गौर किया कि हालांकि वह निरंतर बिना रुके अवकाश के समय भी काम करता है और शायद ही कभी आराम करता हो, इसके बाबजूद बाकी के बुजुर्ग लोग उतने ही पेड़ काट रहे थे बल्कि कई बार तो उससे भी ज्यादा काट डालते थे। ऐसा लगता था कि वे बुजुर्ग उसी की भाँति अवकाश के समय भी काम करते रहे हों इसलिए उसने तय किया कि अगले दिन से अब वह और ज्यादा मेहनत से काम करेगा। दुर्भाग्य से इसका नतीजा और भी खराब निकला।

एक दिन एक बुजुर्ग लकड़हारे ने अवकाश के समय युवा लकड़हारे को अपने साथ कुछ पीने के लिए आमंत्रित किया। उसने इनकार करते हुए कहा कि उसके पास व्यर्थ में नष्ट करने के लिए समय नहीं है। इस पर बुजुर्ग ने मुस्कुरा कर कहा कि अपनी कुल्हाड़ी को दुबारा तेज किए बिना पेड़ काटते रहने से मेहनत बेकार ही जाएगी। देर.सबेर तुम हार मान लोगे या इतनी अधिक मेहनत करते हुए थक जाओगे।

अचानक ही उस युवा को एहसास हुआ कि वास्तव में अपने अवकाश के समय गप्प हांकते हुए ये बुजुर्ग लकड़हारे अपनी कुल्हाड़ी भी तेज करते हैं। इस तरह वे कम समय और कम मेहनत करते हुए उससे तेजी से ज्यादा लकड़ी काट पाते हैं।

उस बुजुर्ग लकड़हारे ने बताया कि हमें दक्षता से काम करने की आवश्यकता है, इसके लिए अपनी कुशलता व क्षमताओं का समझदारी से उपयोग करना जरुरी है। तभी हमारे पास बाकी काम करने के लिए ज्यादा समय बचेगा, नहीं तो तुम हमेशा कहते रहोगे कि तुम्हारे पास समय नहीं है! एसीलिए जीवन में छोटे अवकाश का अच्छा खासा महत्व है।

काम के बीच में छोटा सा अवकाश लेने से यह आपको तरो.ताजा महसूस करने, ठीक से सोच सकने और अवकाश के बाद बेहतर काम करने में सक्षम बनाता है। यह नहीं कि मैं अवकाश ले लिए बहाना ढूंढ रहा हूं, अवकाश का अर्थ काम रोकना नहीं, बल्कि आराम से बैठ कर अपनी कार्यनीति या कार्ययोजना पर दूसरे दृष्टिकोंण से पुनर्विचार करना भी है।

One thought on “जीवन में छोटे अवकाश का महत्व

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी बोध कथा.

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