ये जिन्दगी जो मुझे मिली
ये जिन्दगी जो मुझे मिली,
कल तक थी जो महफिल वो आज खाली मिली,
नफरत की जो राह थी वो आज सुनसान सी मिली,
वो सुने बाग आज गुलजार थे जहाँ रूखसत मिली,
हर इरादा मेरा जो नेक था वही मंजिल मुझे मिली,
कष्ती कागज की थी वो किनारे पर मिली,
ना कोई चाहत थी जिसकी वजह मुझे मिली,
कोई हलचल ना रही वो उल्फत मुझे मिली,
दोस्तों की डगर यूंही गुलिस्ता रहीं जहाँ दोस्ती मिली,
जिन्दगी हर दौर में खुष्नुमा मिली,
रातों को हो बैचेन कोई ख्वाब की निंद मुझे मिली,
हर दस्तुर पर नई चाहत मिली,
नजरें किसी को देख झुकी तो नजरें किसी से जा मिली,
हर पहलु पर जिन्दगी अदब से मिली,
पल भर ही सही जिन्दगी दो कदम उससे मिली,
बीता युंही पल खामोष निगाहे ऐसे ही मिली,
धुआँ सा उठा कंही तो आग वहाँ मिली,
धीरे-धीरे तन्हाई भी मिली,
फलसफा बिता हर रंग में छुपी रंगत मिली,
वो आरजु वो दस्तक किसी की जिन्दगी में मिली,
हर अतित की बात दिल में छुपी हुई मिली,
आवाज में गम की गहराई मिली,
रह-रह कर आँखों में अष्क की बुंद मिली,
सुनी सी गलियों में किसी की पुकार मिली,
ये गजल और गीत की नई राह मुझे मिली,
खामोष और ठहराव की जिन्दगी मिली,
ये जिन्दगी जो मुझे मिली,
कल तक थी जो महफिल वो आज खाली मिली,