एक युग का अवसान
हे महान आत्मा !
आपको शत-शत नमन!!
अंततः आठ दशकों की
यह अनवरत यात्रा थम ही गई
आप भी हो गए चिरनिंद्रा में लीन !!
यूँ लगता है जैसे — एक युग का अवसान हो गया है!
सही अर्थों में आप भारत रतन थे!
आपका कद हर सम्मान से ऊँचा था;
“भारत रतन” आपके नाम के साथ
जुड़कर स्वतः ही सर्वोच्च हो गया / सार्थक हो गया !
आपकी यात्रा भले ही थम गई है;
लेकिन क्या थम सकेगी कभी, अग्नि की उड़ान !
वह अग्नि जिसे पाकर देश—
गौरवान्वित हुआ / भयमुक्त हुआ
क्या कभी हो पायेगा राष्ट्र उऋण इस ऋण से !
धन्य वह राष्ट्र, धन्य वह माता जो ऐसे “लाल” जनती है।
— महावीर उत्तरांचली
बहुत खूब .