कविता

एक युग का अवसान

dr kalamहे महान आत्मा !
आपको शत-शत नमन!!

अंततः आठ दशकों की
यह अनवरत यात्रा थम ही गई
आप भी हो गए चिरनिंद्रा में लीन !!
यूँ लगता है जैसे — एक युग का अवसान हो गया है!

सही अर्थों में आप भारत रतन थे!
आपका कद हर सम्मान से ऊँचा था;
“भारत रतन” आपके नाम के साथ
जुड़कर स्वतः ही सर्वोच्च हो गया / सार्थक हो गया !

आपकी यात्रा भले ही थम गई है;
लेकिन क्या थम सकेगी कभी, अग्नि की उड़ान !

वह अग्नि जिसे पाकर देश—
गौरवान्वित हुआ / भयमुक्त हुआ
क्या कभी हो पायेगा राष्ट्र उऋण इस ऋण से !

धन्य वह राष्ट्र, धन्य वह माता जो ऐसे “लाल” जनती है।

महावीर उत्तरांचली

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६

One thought on “एक युग का अवसान

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहुत खूब .

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