कविता
वो पीपल का पेड़
जहाँ खडी हो
मैंने घंटों तक देखा
रस्ता तुम्हारा
फिर भी नहीं आए तुम
वो पेड़ आज भी
घूरता है मुझे
और पूछता है कई सवाल
कि मैंने क्यों
खोद डाला उसकी जड़ों को
अपने नाखूनों से
तुम्हें याद करते
….सरिता .
वो पीपल का पेड़
जहाँ खडी हो
मैंने घंटों तक देखा
रस्ता तुम्हारा
फिर भी नहीं आए तुम
वो पेड़ आज भी
घूरता है मुझे
और पूछता है कई सवाल
कि मैंने क्यों
खोद डाला उसकी जड़ों को
अपने नाखूनों से
तुम्हें याद करते
….सरिता .