भारती पवित्र क्षेत्र…
पंच कर रहे प्रपंच, जनता त्राहि त्राहि करे।
भारती का दर्द भला, कौन हरे कौन हरे।।
धर्म कर रहा विलाप, क्रुद्ध जन प्रचंड है।
आस्था पुनीत कलश,हुआ खंड खंड है॥
दुष्टता दहक रही है, चंड घात घात में।
अभ्यचार वार करे, दुष्कर्म विघात मे॥
कर रहा विलाप आसमान, रुष्ट है धरा।
डूब रहा कर्मकाल, तर रहे निशाचरा॥
भेद भाव द्वंद, मंद मंद कर्मकाल में।
घुट रहा है सत्य,भ्रष्टता के छंद जाल मे॥
हर दिशा विलाप रही, दुष्टता के दंश से।
दूर हो गया है जबसे अंश, ईश अंश से॥
हे महाप्रभु उठाओ, अब त्रिशूल हाथ में
कोई दुष्ट ना बचे, त्रिलोकी कायनात मे॥
नेत्र खोल दो त्रिनेत्र, बम बोल दो त्रिनेत्र।
दुष्ट दलन करो नाथ, भारती पवित्र क्षेत्र॥
दुष्ट दलन करो नाथ, भारती पवित्र क्षेत्र…
दुष्ट दलन करो नाथ, भारती पवित्र क्षेत्र…
सतीश बंसल