गीतिका : एक विनम्र श्रद्धांजलि
सपूत मातृभूमि के, उठो कि माँ पुकारती ।
कलाम तुम चले कहाँ कि रो रही है भारती ।
नजर उठा के एक बार मुस्करा के देख लो ।
हर आँख आज नम हुई, तुम्हें ही है निहारती ।
उठो भरत की बेटियों, कलाम को करो विदा ।
सजा लो दीप थाल में, उतारो आज आरती ।
कर्म योगी बन जिया, नाम को अमर किया ।
कलाम हर युवा बने, प्रत्येक माँ विचारती ।
माँ की गोद में गिरा, माँ के वक्ष से लगा ।
जय कलाम जय मिसाइल मैन माँ उचारती
लता यादव
बहुत शानदार !