कविता

अंतिम सलाम

जमीं रो पडी
आसमान रो पडा
उनकी बिदाई पर
हिन्दुस्तान रो पडा
गर हो सके तो
फिर लौट आना कलाम
कृतज्ञ जन मानस का
तुम्हे अंतिम सलाम…….

ये बच्चे
कलाम चाचा की, राह निहारेगें
युवा
लेक्चर सुनने को, तुम्हे पुकारेगें
अधीर हो पुकारेगा
तुम्हे भारत का मान
कृतज्ञ जन मानस का
तुम्हे अंतिम सलाम…….

वो सादगी,वो मुस्कान
हमें बहुत याद आयेगी
तुम्हारी जुदाई
एक युग समेट जायेगी
ओ अन्तिम पथ के राही
ओ मानवता के मान
कृतज्ञ जन मानस का
तुम्हे अंतिम सलाम…….
(भारत रत्न, डां. कलाम जी की अन्तिम विदाई पर )

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

2 thoughts on “अंतिम सलाम

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    डाक्टर कलाम हिन्दुस्तान के इतहास में एक चमकदार सितारे की तरह चमकते रहेंगे .

    • सतीश बंसल

      जी भामरा साहब…

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