जुल्फों को बादल लिख दूं….
जुल्फों को बादल लिख दूं, आंचल को चंचल घटा लिखूं ।
कायनात मे ऐसा क्या है, जिसको चेहरा तेरा लिखूं॥
गजरे को गुलशन लिख दूंगा, कजरा लिख दूं श्याम ।
चितवन चपल चकोर तेरे ,नयनो को लिख दूं तान ॥
मुस्काते तेरे अधरों को कलियां, ऐ दिलवरा लिखूं……
कायनात मे ऐसा क्या है, जिसको चेहरा तेरा लिखूं…..
सांसों को खुशबू लिख दूगां, बदन तेरा चंदन लिख दूं।
तेरी अदा को लिखूं कयामत, मन पावन उपवन लिख दूं॥
तेरी खुशियों के मौसम को, सावन हरा भरा लिखूं….
कायनात मे ऐसा क्या है, जिसको चेहरा तेरा लिखूं….
सीरत को नेकी लिख दूं मैं, और विचारों को निर्मल।
दिल को दया करुणा लिख दूं, कोमल तन को शीषमहल॥
पलकों की मदहोश छवि को, कलियों पर भंवरा लिखूं…..
कायनात मे ऐसा क्या है, जिसको चेहरा तेरा लिखूं…….
अंग अंग को रति लिखूं , बातें मीठी मकरंद।
अंगडाई को बिजली लिख दूं, और वाणी को छंद॥
दिल मे है बस द्वंद यही, सूरत वर्णन किस तरहा लिखूं….
कायनात मे ऐसा क्या है, जिसको चेहरा तेरा लिखूं…..
सतीश बंसल