० गुरु-वन्दना : पुकार ०
नाव पड़ी मझधार, लगा दो गुरुवर नैया पार
कोई न खेवनहार, लगा दो गुरुवर नैया पार
चारों ओर घना अँधियारा
दिखता नहीं है कोई किनारा
टूट गई पतवार , लगा दो गुरुवर नैया पार
नाव पड़ी मझधार……..
तुझको छोड़ कहाँ मैं जाऊँ
तू ही दिखे जहाँ मैं जाऊँ
तुम अनन्त अविकार,लगा दो गुरुवर नैया पार
नाव पड़ी मझधार………
जीवन का विज्ञान सिखा दो
मन से तम-अज्ञान मिटा दो
ज्ञान-ज्योति भण्डार,लगा दो गुरुवर नैया पार
नाव पड़ी मझधार………
तन में भर दो अविरल शक्ति
मन में भर दो अविचल भक्ति
कृपा-सिन्धु करतार, लगा दो गुरुवर नैया पार
नाव पड़ी मझधार………
तुम हो ब्रह्माच्युत शिवशंकर
आदिदेव हो मुरलीमनोहर
ब्रह्म-रूप साकार, लगा दो गुरुवर नैया पार
नाव पड़ी मझधार………
माया-मोह, लोभ के बन्धन
जकड़ उठा है मेरा तन-मन
‘भान’ गये थक-हार, लगा दो गुरुवर नैया पार
नाव पड़ी मझधार……….
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गुरु के श्रीचरणों में श्रद्धावनत्,
उदय भान पाण्डेय ‘भान’
लखनऊ, मो० 9415001459