बालगीत – “वर्षा रानी”
वर्षा रानी फिर बादल के रथ पर चढ़कर आई
देख दहकते सूरज जी को मंद – मंद मुस्काई |
इंद्रधनुष का सतरंगी , परिधान पहन इठलाई ,
नीली छतरी के नीचे वह उमड़ घुमड़ कर छाई |
गरज – तड़प कर के मेघों ने ऐसी धुने बजाई ,
खूब छमाछम नाची वर्षा , थिरके नदी तलाई |
रिमझिम रिमझिम ठंडी बूंदों ने जब धार बहाई
गर्मी सारी ठंडी पड़ गई , सहमे सूरज भाई |
-– अरविंद कुमार ‘साहू’
बहुत अच्छा बाल गीत .