कविता

आसमान अपने अपने …

बसा लिये सबने जहान ,अपने अपने
पा लिये सबने मुकाम ,अपने अपने।
वो अब क्यूं किसी का सहारा बनेगें
जिन्हे मिल गये आसमान, अपने अपने ॥

कौन भला , बेगानों को याद करता है
कौन किसी के लिये, फरियाद करता है।
एक दिल, एक जान ,सब कहने की बातें हैं
कौन भला किसी के जाने के बाद मरता है

बडी कमाल की चीज है दौलत रिश्तों को भी कहानी बना देती है
मार देती है अहसास तक, हया को पानी बना देती है।
इसकी दीवानगी जब सर चढकर बोलती है जनाब
सीरत को बे हया और मर्यादा को बेमानी बना देती है॥

माना शहर की रंगीनियों को, गांव की डिबिया नही भाती
जलवों की चमकार में, मां की गोद याद नही आती।
चाहे जितना हसीन हो, तुम्हारी दौलत का हर महल
मगर इस दौलत से , प्यार की दौलत नही मिल पाती॥

सतीश बंसल

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.

One thought on “आसमान अपने अपने …

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    सत्य को उकेरती सच्ची लेखनी

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