आसमान अपने अपने …
बसा लिये सबने जहान ,अपने अपने
पा लिये सबने मुकाम ,अपने अपने।
वो अब क्यूं किसी का सहारा बनेगें
जिन्हे मिल गये आसमान, अपने अपने ॥
कौन भला , बेगानों को याद करता है
कौन किसी के लिये, फरियाद करता है।
एक दिल, एक जान ,सब कहने की बातें हैं
कौन भला किसी के जाने के बाद मरता है
बडी कमाल की चीज है दौलत रिश्तों को भी कहानी बना देती है
मार देती है अहसास तक, हया को पानी बना देती है।
इसकी दीवानगी जब सर चढकर बोलती है जनाब
सीरत को बे हया और मर्यादा को बेमानी बना देती है॥
माना शहर की रंगीनियों को, गांव की डिबिया नही भाती
जलवों की चमकार में, मां की गोद याद नही आती।
चाहे जितना हसीन हो, तुम्हारी दौलत का हर महल
मगर इस दौलत से , प्यार की दौलत नही मिल पाती॥
सतीश बंसल
सत्य को उकेरती सच्ची लेखनी