सावन ले आ मौनसून
सावन की ओ घटायें सुन
कहीं से तू ले आ मौनसुन
अपनी रुत की दिखा दे गुण
तुझे पौधे बुला रहे झूम-झूम
तेरी राह ताक रहे किसान
तेरे बिन सुन्ना खेत-खलिहान
पंछी सुना रहे हैं तान
फिका पड़ गया आसमान
मेढक भाई छुपाये हैं भाल
मछली रानी का भी बूरा हाल
सभी जीव हो गये बेहाल
साल क्या करेगा आकाल
अरे धूप हो गया मद्धम
बिजली चमकने लगी चमचम
पानी बरसने लगी झमझम
चलो बारिश में भिंजे आज हम।
-दीपिका कुमारी दीप्ति