देश खुशहाल है !
आगे देखो ,देखते रहो ,अच्छे दिन आने वाले हैं
भाषण सुनकर ,गदगद जनता ,दिन बदलने वाले हैं
गिन गिनकर काटते हैं दिन,अच्छे दिन के इन्तेजार में
नींद गायब ,सपने गायब, खुली आँखों में सपने देखते हैं
इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा देश खुशहाल है |
सवा अरब जन में,अस्सी करोड़ गरीब ,गाँव के वासी हैं
गाव में न शिक्षा है ,न रोजगार है न कोई साधन है
कुछ हैं खेतिहार गाँव में,बाकि सब खेतिहार मजदुर हैं
एक बेला खाता है मजदूर ,दूसरा बेला उपवास करता है
इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा देश खुशहाल है |
भरण –पोषण का साधन ,केवल खेतिहांर मजदूरी है
सरकारी आंकड़ा है ,हर व्यक्ति तैंतीस रूपये कमाता है
पूरा दिन का खर्चा पानी ,इसी से वह पूरा करता है
गाँव वाले भी खुश ,सरकार भी खुश ,मंत्री का कहना है
इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा देश खुशहाल है |
मिटटी के सब घर हैं ,घासफूस,खपरेल का छावनी है
पक्के मकान का सपना,गाँव वालों से अभी कोसों दूर है
आधुनिक साधन? न फोन,न मोबाइल ,न कोई बाहन है
और बात छोडिये,पीने का स्वच्छ पानी का भी अभाव है
इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा भारत महान है |
रहने के लिए न मकान है, न करने के लिए कुछ काम है
पहनने के लिए न कपड़े हैं ,न पेट भरने के भोजन है
इलाज के लिए पैसे नहीं ,रोग से गरीब पीड़ित है
फ़रियाद जितना करो यहाँ ,हाकिम सब बे-दर्द हैं
उसपर भी नारा बुलंद हैं ,भारत हमारा खुशहाल हैं |
गाँव से गाँव जोड़कर ,बनता गाँव का एक महान देश है
जैसे ईँट से ईँट जोड़कर ,बनता एक मजबूत इमारत है
हर गाँव जब उन्नत होगा ,तभी कहलायगा देश उन्नत है
तभी होगा सार्थक यह नारा ,हमारा भारत देश महान है
इसके बिना खोखला है सब नारा ,हमारा देश खुशहाल है |
© कालीपद ‘प्रसाद’