कवितापद्य साहित्य

देश खुशहाल है !

आगे देखो ,देखते रहो ,अच्छे  दिन आने वाले हैं

भाषण सुनकर ,गदगद जनता ,दिन बदलने वाले हैं

गिन गिनकर काटते हैं दिन,अच्छे दिन के इन्तेजार में

नींद गायब ,सपने गायब, खुली आँखों में सपने देखते हैं

इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा देश खुशहाल है |

 

सवा अरब जन में,अस्सी करोड़ गरीब ,गाँव के वासी हैं

गाव में न शिक्षा है ,न रोजगार है न कोई साधन है

कुछ हैं खेतिहार गाँव में,बाकि सब खेतिहार मजदुर हैं

एक बेला खाता है मजदूर ,दूसरा बेला उपवास करता है

इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा देश खुशहाल है |

 

भरण –पोषण का साधन ,केवल खेतिहांर मजदूरी है

सरकारी आंकड़ा है ,हर व्यक्ति तैंतीस रूपये कमाता है           

पूरा दिन का खर्चा पानी ,इसी से वह पूरा करता है

गाँव वाले भी खुश ,सरकार भी खुश ,मंत्री का कहना है

इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा देश खुशहाल है |

 

मिटटी के सब घर हैं ,घासफूस,खपरेल का छावनी है

पक्के मकान का सपना,गाँव वालों से अभी कोसों दूर है

आधुनिक साधन? न फोन,न मोबाइल ,न कोई बाहन है

और बात छोडिये,पीने का स्वच्छ पानी का भी अभाव है

इस पर भी नारा बुलंद है ,हमारा भारत महान है |

 

रहने के लिए न मकान है, न करने के लिए कुछ काम है

पहनने के लिए न कपड़े हैं ,न पेट भरने के भोजन है

इलाज के लिए पैसे नहीं ,रोग से गरीब पीड़ित है

फ़रियाद जितना करो यहाँ ,हाकिम सब बे-दर्द हैं

उसपर भी नारा बुलंद हैं ,भारत हमारा खुशहाल हैं | 

 

गाँव से गाँव जोड़कर ,बनता गाँव का एक महान देश है

जैसे ईँट से ईँट जोड़कर ,बनता एक मजबूत इमारत है 

हर गाँव जब उन्नत होगा ,तभी कहलायगा देश उन्नत है

तभी होगा सार्थक यह नारा ,हमारा भारत देश महान है

इसके बिना खोखला है सब नारा ,हमारा देश खुशहाल है |

© कालीपद ‘प्रसाद’

*कालीपद प्रसाद

जन्म ८ जुलाई १९४७ ,स्थान खुलना शिक्षा:– स्कूल :शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय ,धर्मजयगड ,जिला रायगढ़, (छ .गढ़) l कालेज :(स्नातक ) –क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान,भोपाल ,( म,प्र.) एम .एस .सी (गणित )– जबलपुर विश्वविद्यालय,( म,प्र.) एम ए (अर्थ शास्त्र ) – गडवाल विश्वविद्यालय .श्रीनगर (उ.खण्ड) कार्यक्षेत्र - राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कालेज ( आर .आई .एम ,सी ) देहरादून में अध्यापन | तत पश्चात केन्द्रीय विद्यालय संगठन में प्राचार्य के रूप में 18 वर्ष तक सेवारत रहा | प्राचार्य के रूप में सेवानिवृत्त हुआ | रचनात्मक कार्य : शैक्षणिक लेख केंद्रीय विद्यालय संगठन के पत्रिका में प्रकाशित हुए | २. “ Value Based Education” नाम से पुस्तक २००० में प्रकाशित हुई | कविता संग्रह का प्रथम संस्करण “काव्य सौरभ“ दिसम्बर २०१४ में प्रकाशित हुआ l "अँधेरे से उजाले की ओर " २०१६ प्रकाशित हुआ है | एक और कविता संग्रह ,एक उपन्यास प्रकाशन के लिए तैयार है !