स्वास्थ्य

खाँसी की प्राकृतिक चिकित्सा

सूखी या गीली दोनों तरह की खाँसी का कारण है पुराना क़ब्ज़ और फेंफडों में विकार एकत्र होना। इनको दूर करने के लिए निम्नलिखित कार्य करें-

१. सुबह उठते ही एक गिलास गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर और एक चम्मच शहद मिलाकर पियें। फिर ५ मिनट बाद शौच जायें।

२. शौच के बाद ५-७ मिनट का ठंडा कटिस्नान लें। उसके बाद आधा-पौन घंटा तेज़ चाल से टहलें।

३. टहलने के बाद फेंफडों को साफ़ करने के लिए ५ मिनट भस्त्रिका, ५ मिनट कपालभाति और ५ मिनट अनुलोम-विलोम प्राणायाम करें।

४. दिन भर में साढ़े तीन-चार लीटर सादा पानी पियें। यानी हर घंटे पर एक पाव। जितनी बार पानी पियेंगे उतनी बार पेशाब आयेगा। उसे रोकना नहीं है।

५. रात को सोते समय एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी से लें।

६. परहेज़- फ्रिज का ठंडा पानी, चिकनाई, चीनी तथा कफ कारक वस्तुएँ। अगर चाय छोड़ सकें तो बेहतर, नहीं तो उसके स्थान पर ग्रीन टी पियें।

इस कार्यक्रम का पालन करने से कैसी भी खाँसी हो केवल एक-दो सप्ताह में जड़ से समाप्त हो जायेगी।

विजय कुमार सिंघल

डॉ. विजय कुमार सिंघल

नाम - डाॅ विजय कुमार सिंघल ‘अंजान’ जन्म तिथि - 27 अक्तूबर, 1959 जन्म स्थान - गाँव - दघेंटा, विकास खंड - बल्देव, जिला - मथुरा (उ.प्र.) पिता - स्व. श्री छेदा लाल अग्रवाल माता - स्व. श्रीमती शीला देवी पितामह - स्व. श्री चिन्तामणि जी सिंघल ज्येष्ठ पितामह - स्व. स्वामी शंकरानन्द सरस्वती जी महाराज शिक्षा - एम.स्टेट., एम.फिल. (कम्प्यूटर विज्ञान), सीएआईआईबी पुरस्कार - जापान के एक सरकारी संस्थान द्वारा कम्प्यूटरीकरण विषय पर आयोजित विश्व-स्तरीय निबंध प्रतियोगिता में विजयी होने पर पुरस्कार ग्रहण करने हेतु जापान यात्रा, जहाँ गोल्ड कप द्वारा सम्मानित। इसके अतिरिक्त अनेक निबंध प्रतियोगिताओं में पुरस्कृत। आजीविका - इलाहाबाद बैंक, डीआरएस, मंडलीय कार्यालय, लखनऊ में मुख्य प्रबंधक (सूचना प्रौद्योगिकी) के पद से अवकाशप्राप्त। लेखन - कम्प्यूटर से सम्बंधित विषयों पर 80 पुस्तकें लिखित, जिनमें से 75 प्रकाशित। अन्य प्रकाशित पुस्तकें- वैदिक गीता, सरस भजन संग्रह, स्वास्थ्य रहस्य। अनेक लेख, कविताएँ, कहानियाँ, व्यंग्य, कार्टून आदि यत्र-तत्र प्रकाशित। महाभारत पर आधारित लघु उपन्यास ‘शान्तिदूत’ वेबसाइट पर प्रकाशित। आत्मकथा - प्रथम भाग (मुर्गे की तीसरी टाँग), द्वितीय भाग (दो नम्बर का आदमी) एवं तृतीय भाग (एक नजर पीछे की ओर) प्रकाशित। आत्मकथा का चतुर्थ भाग (महाशून्य की ओर) प्रकाशनाधीन। प्रकाशन- वेब पत्रिका ‘जय विजय’ मासिक का नियमित सम्पादन एवं प्रकाशन, वेबसाइट- www.jayvijay.co, ई-मेल: [email protected], प्राकृतिक चिकित्सक एवं योगाचार्य सम्पर्क सूत्र - 15, सरयू विहार फेज 2, निकट बसन्त विहार, कमला नगर, आगरा-282005 (उप्र), मो. 9919997596, ई-मेल- [email protected], [email protected]

5 thoughts on “खाँसी की प्राकृतिक चिकित्सा

  • शशि शर्मा 'ख़ुशी'

    निःशुल्क चिकित्सा,,, अति-उत्तम | हार्दिक आभार |

  • मनमोहन कुमार आर्य

    खांसी के उपचार के लिए बिना व्यय का विश्वसनीय उपचार। हार्दिक धन्यवाद।

    • विजय कुमार सिंघल

      प्रणाम मान्यवर ! आभार ! आप इसकी जानकारीअपन् आसपास के लोगों को देने की कृपा करें ताकि वे भी लाभ उठा सकें।

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    विजय भाई , बहुत अच्छी जानकारी दी है आप ने .लेकिन पानी इतना पी नहीं होता ,कोशिश तो करते हैं लेकिन यहाँ मौसम ही कुछ ऐसा है कि पानी पीने को जी नहीं चाहता . फिर भी जितनी कोशिश हो सकती है ,जरुर करते हैं .

    • विजय कुमार सिंघल

      प्रणाम, भाईसाहब ! आपका कहना सत्य है। आप ठंडे देश में रहते हैं इसलिए इतना पानी नहीं पी सकते। लेकिन दिनभर में ढाई तीन लीटर जल आप सरलता से पी सकते हैं। इतनी आपके लिए काफ़ी होगा। पानी पीने को जी न चाहे तो भी समय पर ज़रूर पीना चाहिए।

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