गीत/नवगीत

गीत : दया की ज्योत लेकर

दया की ज्योत लेकर, ऋषि दयानंद देख लो आये
जला है सत्य का सूरज, मिटे अज्ञान के साये
दया की ज्योत लेकर ………………….

ज़रा तो नींद से जागो, पढो तुम पाठ वेदों का
रहा सदियों से दुनिया में, बड़ा ही ठाट वेदों का
है वेदों का उजाला पास तो फिर क्यों तो घबराये
दया की ज्योत लेकर ………………….

कुएं-तालाब में क्यों आज तुम डुबकी लगाते हो
नहाओ वेद सागर में, कहाँ जीवन गंवाते हो
करे उपकार वो संसार का, जो वेद अपनाये
दया की ज्योत लेकर ………………….

ये जीवन बीत जायेगा, अँधेरे ही अँधेरे में
अगर तू सत्य ना जाने, चलेगा दुःख के घेरे में
हवन कर वेद मन्त्रों से, सवेरा खुद ही हो जाये
दया की ज्योत लेकर ………………….

कवि:—महावीर उत्तरांचली

महावीर उत्तरांचली

लघुकथाकार जन्म : २४ जुलाई १९७१, नई दिल्ली प्रकाशित कृतियाँ : (1.) आग का दरिया (ग़ज़ल संग्रह, २००९) अमृत प्रकाशन से। (2.) तीन पीढ़ियां : तीन कथाकार (कथा संग्रह में प्रेमचंद, मोहन राकेश और महावीर उत्तरांचली की ४ — ४ कहानियां; संपादक : सुरंजन, २००७) मगध प्रकाशन से। (3.) आग यह बदलाव की (ग़ज़ल संग्रह, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। (4.) मन में नाचे मोर है (जनक छंद, २०१३) उत्तरांचली साहित्य संस्थान से। बी-४/७९, पर्यटन विहार, वसुंधरा एन्क्लेव, दिल्ली - ११००९६ चलभाष : ९८१८१५०५१६

2 thoughts on “गीत : दया की ज्योत लेकर

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी कविता। हम सभी आर्यजन स्वामी दयानंद जी के ऋणी हैं।

  • महातम मिश्र

    शिव समान वेदों का प्रसंशनीय दर्शन कराया आप ने मान्यवर महावीर उत्तरांचली जी, साधुवाद

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