गीत : दया की ज्योत लेकर
दया की ज्योत लेकर, ऋषि दयानंद देख लो आये
जला है सत्य का सूरज, मिटे अज्ञान के साये
दया की ज्योत लेकर ………………….
ज़रा तो नींद से जागो, पढो तुम पाठ वेदों का
रहा सदियों से दुनिया में, बड़ा ही ठाट वेदों का
है वेदों का उजाला पास तो फिर क्यों तो घबराये
दया की ज्योत लेकर ………………….
कुएं-तालाब में क्यों आज तुम डुबकी लगाते हो
नहाओ वेद सागर में, कहाँ जीवन गंवाते हो
करे उपकार वो संसार का, जो वेद अपनाये
दया की ज्योत लेकर ………………….
ये जीवन बीत जायेगा, अँधेरे ही अँधेरे में
अगर तू सत्य ना जाने, चलेगा दुःख के घेरे में
हवन कर वेद मन्त्रों से, सवेरा खुद ही हो जाये
दया की ज्योत लेकर ………………….
कवि:—महावीर उत्तरांचली
बहुत अच्छी कविता। हम सभी आर्यजन स्वामी दयानंद जी के ऋणी हैं।
शिव समान वेदों का प्रसंशनीय दर्शन कराया आप ने मान्यवर महावीर उत्तरांचली जी, साधुवाद