कविता

पञ्चचामर छंद …उदास राधिका

उदास राधिका न छेड़ प्रेम तान साँवरे ।
हताश खोजती फिरे मिला न प्रान बाँवरे ।।
बुझा सवेर दीप आसमान चाँदनी झरी ।
छुपा कहाँ बता ज़रा सुना सुराग बाँसुरी ।।
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गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

4 thoughts on “पञ्चचामर छंद …उदास राधिका

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह वाह ! इसका और विस्तार कीजिए।

  • महातम मिश्र

    वाह आदरणीया गुंजन अग्रवाल जी, साधुवाद महोदया उत्तम अतिव उत्तम

    • गुंजन अग्रवाल

      utsaahvrdhan tipni dene hetu dil se aabhar aadarniy …/..

      • महातम मिश्र

        सादर धन्यवाद गुंजन अग्रवाल जी

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