दिल उसुलों से रोशन रहे काफी है…..
तेज सूरज का मुझको मिले ना मिले, दिल उसुलों से रोशन रहे काफी है।
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है॥
बन ना पाऊं अगर चाँद तो गम नही, टिमटिमाता हुआ इक सितारा सही।
दौलतों की चकाचौंध हो कि ना हो, आप चाहत लुटाते रहें काफी है…..
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है…….
हार फूलों के मुझको मिले ना मिले, दोस्तों से यूं ही प्यार मिलता रहे।
मुझको महलों की ख्वाहिश नही दोस्तों, चाहतों का ये संसार खिलता रहे॥
चर्चे मेरी ईनायत के हो कि ना हो, लोग बस मुझको सच्चा कहें काफी है…..
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है……..
मेरा मान और सम्मान हो कि ना हो, बस मेरे गीत कुछ मान पाने लगें।
स्वागतों से भरी शाम हो कि ना हो, मेरे नगमे लबों पर तो आने लगें॥
मुझको कवियों का दर्जा मिले ना मिले, मेरी कविता को अच्छा कहे काफी है…..
शोहरतों की बुलंदी मिले ना मिले, लोंग इंनसान अच्छा कहें काफी है…….
सतीश बंसल
बहुत सुंदर !
तेज सूरज का मुझको मिले ना मिले, दिल उसुलों से रोशन रहे काफी है।
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति सतीश जी
सुन्दर रचना आदरणीय