पिरामिड
(1)
ये
मन
मचला
महकता
गुलाब तोडें
मुरझाया सा है
जी व न चहके है
(2)
लों
यह
पंक्षी का
घों स ला है
चूं चूं क र ता
उ ल झ ता हुआ
दे ख ता आ का श है
(3)
मै
मै हूँ
मेरा क्या
अ फ सा ना
च ला जा उं गा
छो ड़ बि रा ने में
म त रख भ रो षा
(4)
ये
उठा
लाया हूँ
मणिका है
सितारों में से
स जा उं गा इसे
चित्र दिख लाऊंगा
महातम मिश्र
मुक्त छंद कविता के साथ अच्छा प्रयोग !
सादर धन्यवाद आदरणीय श्री विजय कुमार सिंघल जी, बहुत दिनों बाद आप का आशीष मिला अच्छा लगा सर